कुछ सुर्ख सी कुछ ख़ामोश सी
सब कुछ कह जाने को बेताब सी
कभी इधर कभी उधर कुछ तलाशती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
कभी इठलाती कभी इतराती
कभी खुद में ही शर्मा जाती
कभी शैतान सी कभी नादान सी
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
पलकों के पीछे से निहारती
सितारों की तरह जगमगाती
शर्मा के फिर पलकों में छुप जाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
कभी झूमती कभी ठिठक जाती
बिना बात ही खिलखिलाती
कभी एक अजनबी एहसास दिलाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
ख़यालो में गुम सी कभी
शरारातो में मशगूल सी कभी
मुझे तेरी ओर खींच लाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती...!!
सब कुछ कह जाने को बेताब सी
कभी इधर कभी उधर कुछ तलाशती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
कभी इठलाती कभी इतराती
कभी खुद में ही शर्मा जाती
कभी शैतान सी कभी नादान सी
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
पलकों के पीछे से निहारती
सितारों की तरह जगमगाती
शर्मा के फिर पलकों में छुप जाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
कभी झूमती कभी ठिठक जाती
बिना बात ही खिलखिलाती
कभी एक अजनबी एहसास दिलाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती
ख़यालो में गुम सी कभी
शरारातो में मशगूल सी कभी
मुझे तेरी ओर खींच लाती
ये आँखें तेरी बिन कहे सब कुछ कह जाती...!!
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