Skip to main content

पता नही

किस ओर जा रही थी ज़िंदगी
किस ओर चलने लगी
एक साँस थी जैसे ठहरी हुई
तेरे आते ही वो चलने लगी
पता ऩही by Ankesh Kumar Shrivastava
यूँ तो कई मोड़ आए ज़िंदगी में
पर तूने ही लिखा सबसे हसीन लम्हा
तूने ही दिए सबसे खूबसूरत पल
तेरी नाराज़गी में भी एक सादगी है
रूठ कर बोलना तेरा "पता नही"
फिर अगले ही पल मुस्कुराना तेरा
भला कौन बच पाएगा होने से दीवाना तेरा
इक तेरी ही आस है अब इस दिल को
इक तेरी ही कमी है ज़िंदगी में
जाने ना जाने कल क्या हो
तू मेरी हो या तेरे इश्क़ में मैं हो जाउ फ़ना
अब तो सुन ले इस दिल की तड़प, इस दिल की आह
आ जा इस तरह के कभी जाना ना हो
बस जा मुझ में के कभी तुझे खोना ना हो
दिल डरता भी है, संभलता भी है
आस रखता भी है, फिसलता भी है
जब पूछता हूँ दिल से अपने
क्या तू आएगी और पूरे होंगे मेरे सपने
अब तो दिल भी कुछ डरता सा है और चुपके से कहता है....पता नही...!!

Comments

Popular posts from this blog

For My Love

We met by luck but, we are together by choice In my dreams also I can hear your voice You made my days more brighter

Friends, Lover or Nothing

My life was going so simple No worries no tensions Suddenly everything changed

The Last Hug...!!

It's all coming back to me The nights, the days Those early morning fights