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वो लड़की...

एक घड़ी भी चैन ना लेती वो,
पल भर भी चुप ना रहती वो
कभी लड़ती है, तो  कभी रोती है
और कभी छुप-छुप कर हँसती है
Wo Ladki by Ankesh Kumar Shrivastava
अपनी ही धुन मेँ मस्त रहती है
कुछ कहो तो गुस्सा करती है
कभी शरमाती है और कभी धमकाती है
कभी खुद में ही खो जाती है
हाँ,  ये वही लड़की है जो मेरी साँसों मेँ रहती है
कभी इठलाती है, कभी घबराती है
सारी दुनिया का बोझ खुद उठाना चाहती है
हर दिन एक नया गीत गुनगुनाती वो
हर वक़्त खुद को तलाशती वो
मुझपे अपना हुक्म चलाती है
और मुझसे ही सबसे ज़्यादा शरमाती है
न मुझे दूर जाने देती है और न पास बुलाती है
मेरे जज़्बातों को समझती और मुझे भी समझाती है
हाँ,  ये वही लड़की है जो मेरी साँसों मेँ रहती है
चाहे तो सब कुछ पा सकती है, पर खुद से डरती है वो
थोड़ी अच्छी सी, थोड़ी बच्ची सी पर थोड़ी पागल है वो
कभी दुनिया से बिलकुल अलग रहती है
और कभी सभी को साथ में समेटे हुए बहती है
गम और खुशी को साथ लेकर चलती है
मेरे अधूरे बातों को समझती है, मेरे सुख दुख की सहेली है
पर अभी भी मेरे लिए वो एक उलझी पहेली है
मेरे दिन-रात सब में अब बस वही बसती है
हाँ,  ये वही लड़की है जो मेरी साँसों मेँ रहती है|

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